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पूजा के दौरान पैरों का ठंडा होना: Kundalini Awakening का संकेत?

पूजा के दौरान पैरों में ठंडक का अनुभव

पूजा या ध्यान के समय कई बार सामान्य तापमान या बिना ठंडे मौसम के भी पैरों में अचानक ठंडक महसूस हो सकती है। यह केवल एक साधारण शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि इसे आध्यात्मिक ऊर्जा प्रवाह से जुड़ी विशेष अनुभूति के रूप में देखा जाता है।

आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार, मानव शरीर केवल शारीरिक तत्वों से नहीं बना है, बल्कि इसमें प्राण ऊर्जा, चक्रों और नाड़ियों का एक सूक्ष्म तंत्र भी मौजूद है। जब व्यक्ति पूजा, ध्यान या जप में गहराई से लीन होता है, तो ऊर्जा का प्रवाह ऊपर की ओर होने लगता है। इसे ‘कुंडलिनी शक्ति’ के रूप में भी जाना जाता है।

पैरों में ठंडक क्यों महसूस होती है?

पूजा के समय जब साधक की चेतना उच्च स्तर पर जाती है, तब शरीर के निचले हिस्से की ऊर्जा — विशेषकर मूलाधार चक्र में संचित ऊर्जा — ऊपर की ओर आकर्षित होने लगती है। इस प्रक्रिया में पैरों में रक्त संचार धीमा पड़ सकता है या ऊर्जा का प्रवाह कम महसूस हो सकता है, जिससे हल्की ठंडक का अनुभव होता है। यह संकेत करता है कि साधक की ऊर्जा उच्च चक्रों — जैसे अनाहत (हृदय), आज्ञा (मस्तिष्क) और सहस्रार (सिर के ऊपर) — की ओर केंद्रित हो रही है। इसे सामान्य रूप से शुभ और सकारात्मक संकेत माना जाता है, जो साधना में प्रगति का सूचक है।[1]

कब सतर्क रहना चाहिए?

यदि पैरों में ठंडक का यह अनुभव भय, चिंता या नकारात्मक ऊर्जा की स्थिति में हो, तो यह किसी ऊर्जा अवरोध या आसपास की नकारात्मकता का संकेत भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में गंगाजल छिड़कना, हनुमान चालीसा का पाठ या शुद्धिकरण मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी माना जाता है।[1]

महत्वपूर्ण सुझाव

[1]

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